हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में, भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित, चितकुल एक ऐसा गाँव है जिसे भारत का आखिरी गाँव कहते हैं। यह शांत और मनमोहक स्थान बास्पा नदी के दाहिने किनारे पर बसा है और अपनी बेजोड़ प्राकृतिक सुंदरता, हरे-भरे घास के मैदानों और देवदार के घने जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। यह उन यात्रियों के लिए एक आदर्श गंतव्य है जो भीड़-भाड़ से दूर, शांति और एकांत की तलाश में हैं। चितकुल का हर कोना आपको मंत्रमुग्ध कर देता है।
चितकुल की पहचान उसकी शांत सुंदरता और भौगोलिक स्थिति से होती है। यह भारत का अंतिम ऐसा गाँव है जहाँ आप बिना किसी विशेष अनुमति के पहुँच सकते हैं। गाँव का वातावरण बेहद शांत है और यहाँ की हवा में एक ताज़गी महसूस होती है। चितकुल की सबसे बड़ी खासियत यहाँ की पारंपरिक वास्तुकला है, जिसमें लकड़ी के घर और मंदिर हैं। यहाँ के स्थानीय लोग बहुत सरल और गर्मजोशी वाले हैं, जो आपको अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं।
कैसे पहुँचे?
दिल्ली से चितकुल तक की दूरी करीब 590 किलोमीटर है। आप कार या बस से शिमला पहुंच सकते हैं और फिर नारकंडा, रामपुर, जेओरी, कर्चम और सांगला होते हुए चितकुल का सफर तय कर सकते हैं।
- दिल्ली से सफर: लगभग 16-17 घंटे का है, बीच में शिमला या सांगला में ठहरना बेहतर रहेगा।
- शिमला से चितकुल: 238 किलोमीटर का रास्ता करीब 10-12 घंटे लेता है, लेकिन हर मोड़ पर बदलते नज़ारे सफर को यादगार बना देते हैं।
🚍 यहाँ सीधी ट्रेन या बस सेवा नहीं है, लेकिन शिमला तक फ्लाइट से भी पहुंचा जा सकता है। उसके बाद लोकल बस या टैक्सी लेकर गांव तक पहुँचना संभव है।
👉 ट्रैवल टिप: चितकुल समुद्र तल से 3,450 मीटर की ऊँचाई पर है, इसलिए सीधे मैदानों से आने पर पहले सांगला या रेकॉन्ग पियो में रुककर शरीर को अनुकूलित करना ज़रूरी है।

चितकुल घूमने का सबसे अच्छा समय
- गर्मी (मई–जून): मौसम सुहावना, टेम्परेचर 5–15°C, ट्रेकिंग और घूमने का आदर्श समय।
- बरसात (जुलाई–सितंबर): हरी-भरी वादियां, लेकिन भूस्खलन का खतरा रहता है।
- शरद (अक्टूबर–नवंबर): नीला आसमान और सुनहरी पहाड़ियां; शांतिप्रिय लोगों के लिए परफेक्ट।
- सर्दी (दिसंबर–अप्रैल): गांव बर्फ की चादर में ढक जाता है, टेम्परेचर -20°C तक गिरता है। एडवेंचर लवर्स के लिए बेहतरीन, लेकिन चुनौतीपूर्ण।
👉 सबसे अच्छा समय मई-जून और सितंबर-अक्टूबर माना जाता है।

ठहरने की जगहें
यहां फाइव-स्टार होटल तो नहीं हैं, लेकिन प्यारे होमस्टे और कैंपिंग विकल्प मिल जाते हैं:
- Zostel Chitkul – बैकपैकर और युवा यात्रियों के लिए शानदार।
- The Wanderer’s Nest – लोकल परिवार जैसा अनुभव।
- Panaash Eco World – ग्लैम्पिंग का अनोखा अनुभव।
- Kinnor Retreat – गांव के बीचोंबीच सुंदर नज़ारे।
- Sangla Valley Camping – टेंट में रहने का अलग ही आनंद।
चितकुल के प्रमुख आकर्षण
चितकुल में हर तरह के यात्री के लिए कुछ न कुछ है:
- बास्पा नदी: चितकुल की जीवनरेखा, बास्पा नदी गाँव के पास से बहती है। इसका ठंडा और साफ पानी पत्थरों से होकर गुजरता है, जिससे एक शांत संगीत पैदा होता है। आप नदी के किनारे बैठकर घंटों प्रकृति का आनंद लेते हैं।

- माथी देवी मंदिर: गाँव में एक प्राचीन देवी मंदिर है, जो यहाँ के स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र है। लकड़ी की अनूठी वास्तुकला से बने इस मंदिर को देखकर आप स्थानीय कला और संस्कृति को समझते हैं।
- तिब्बत सीमा का दृश्य: आप चितकुल से भारत-तिब्बत सीमा का दृश्य देखते हैं। हालाँकि, सुरक्षा कारणों से आप सीधे सीमा पर नहीं जा सकते, लेकिन यहाँ से हिमालय की चोटियों और दूर की घाटियों का दृश्य अद्भुत होता है।
- आख़िरी ढाबा: भारत का अंतिम ढाबा, जहाँ गरमा-गरम राजमा-चावल और चाय यात्रियों को ताज़गी देते हैं।
- सांगला मीडोज़: किन्नर कैलाश और सेब के बगीचों का अद्भुत दृश्य।
- नज़ारे और फ़ोटोग्राफ़ी: चितकुल अपने शानदार दृश्यों के लिए एक स्वर्ग है। आप यहाँ बहती नदी, ऊँचे पहाड़, हरी-भरी घास और पारंपरिक घरों की खूबसूरत तस्वीरें लेते हैं।
यात्रा सुझाव
✔️ भारी जैकेट और परतदार कपड़े साथ रखें।
✔️ मोबाइल नेटवर्क कमजोर हो सकता है, पहले से तैयारी करें।
✔️ कैश ज़रूर रखें क्योंकि कार्ड हर जगह नहीं चलते।
✔️ ऊँचाई पर धीरे-धीरे घूमें, ज्यादा शराब से बचें।
✔️ स्थानीय संस्कृति और स्वच्छता का सम्मान करें।
चितकुल में क्या करें
चितकुल में आप कई रोमांचक गतिविधियों में भाग लेते हैं:
- ट्रेकिंग और हाइकिंग: चितकुल कई ट्रेकिंग मार्गों का शुरुआती बिंदु है। आप यहाँ छोटे-छोटे ट्रेक पर जाकर आसपास के गाँवों और प्रकृति का करीब से अनुभव करते हैं।
- कैंपिंग: बास्पा नदी के किनारे कैंपिंग करना एक अविस्मरणीय अनुभव होता है, जहाँ आप तारों भरे आसमान के नीचे समय बिताते हैं।
- स्थानीय संस्कृति का अनुभव: आप यहाँ के स्थानीय लोगों से बातचीत करते हैं, उनके जीवन को समझते हैं और किन्नौरी संस्कृति को करीब से जानते हैं।
- स्थानीय व्यंजनों का स्वाद: यहाँ के ढाबों और होमस्टे में आप स्थानीय हिमाचली व्यंजनों का स्वाद लेते हैं।
चितकुल सिर्फ एक जगह नहीं है, बल्कि एक अहसास है। यहाँ की ठंडी हवा, बास्पा नदी का कल-कल करता संगीत और चारों ओर फैले ऊंचे-ऊंचे हिमालयी पहाड़ आपको एक ऐसी दुनिया में ले जाते हैं, जहाँ शहरों का शोर थम जाता है और मन को सुकून मिलता है। यह यात्रा आपको सिर्फ प्रकृति के करीब नहीं लाती, बल्कि आपकी आत्मा को भी शांति और ताजगी से भर देती है। चितकुल से लौटते समय आप अपने साथ सिर्फ तस्वीरें नहीं, बल्कि एक गहरी शांति और अविस्मरणीय यादें लेकर जाते हैं।
By: Anushka Singhal