उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में, यमुना नदी के तट पर स्थित वृन्दावन एक ऐसा शहर है जिसे भगवान श्रीकृष्ण की लीलाभूमि माना जाता है। हिंदू धर्म में यह एक अत्यंत पवित्र स्थान है, जहाँ माना जाता है कि कृष्ण ने अपनी बाल लीलाएं और राधा के साथ रास लीलाएं की थीं। आज, वृन्दावन प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिकता का एक जीवंत केंद्र है, जो दुनिया भर से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। इस नगरी की हर गली, हर मंदिर और हर घाट पर राधे–राधे की ध्वनि गूंजती है।
वृन्दावन की सबसे बड़ी पहचान राधा और कृष्ण के पवित्र प्रेम (प्रेम भक्ति) से होती है। माना जाता है कि इस शहर का नाम वृन्दा (तुलसी) और वन (जंगल) से लिया गया है। इस शहर में हजारों मंदिर हैं, जिनमें से प्रत्येक कृष्ण के जीवन के किसी न किसी पहलू को दर्शाता है। यहाँ का वातावरण इतना भक्तिमय है कि आप हर जगह कृष्ण और राधा के प्रति समर्पण महसूस करते हैं।
जैसे ही आप वृंदावन की सीमा में प्रवेश करते हैं, आपको हर ओर भक्ति की महक महसूस होती है। फूल बेचते दुकानदार, मंत्रोच्चार करते पुजारी, और गोशालाओं में आराम करती गायें – यह सब मिलकर आपको समय के उस दौर में ले जाते हैं जब स्वयं कृष्ण यहां विहार करते थे।

बांके बिहारी मंदिर: वृंदावन का हृदय
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन का सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर लोई बाजार में स्थित है। मंदिर में कृष्णजी की काली प्रतिमा त्रिभंग मुद्रा में विराजमान है। यहां की विशेषता है कि दर्शन लगातार नहीं होते, पर्दे बार-बार खींचे जाते हैं ताकि भक्त श्रीकृष्ण के मोहक रूप से अभिभूत न हो जाएं।
जनमाष्टमी और होली के समय मंदिर का माहौल और भी अद्भुत हो जाता है। चारों ओर फूलों की सजावट, भजन-कीर्तन और भक्तों की भीड़ मंदिर परिसर को जीवंत बना देते हैं। ध्यान रहे कि मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है और यहां जाते समय सादे, शालीन वस्त्र पहनना जरूरी है।
निधिवन: रहस्यों से घिरा वन
निधिवन वृंदावन का सबसे रहस्यमयी स्थान है। मान्यता है कि रात्रि में यहां श्रीकृष्ण और राधा रासलीला करते हैं। यहां का रांग महल सुबह खुलने पर अपने आप सजे हुए और उपयोग के चिन्हों के साथ पाया जाता है। यही कारण है कि सूर्यास्त के बाद यहां किसी को रुकने की अनुमति नहीं है।
यह स्थान बांके बिहारी मंदिर की उत्पत्ति से भी जुड़ा है। कहा जाता है कि यहीं स्वामी हरिदास को श्रीकृष्ण-राधा का साक्षात दर्शन हुआ और उन्होंने श्रीविग्रह की स्थापना की।
वृंदावन परिक्रमा: 15 किमी की भक्ति यात्रा
वृंदावन परिक्रमा मार्ग लगभग 15 किमी लंबा है। इसे नंगे पैर चलकर करना शुभ माना जाता है। मार्ग में प्रमुख मंदिरों और घाटों के दर्शन होते हैं:
- केशी घाट – यमुना किनारा, सूर्यास्त के समय अद्भुत दृश्य।

- मदन मोहन मंदिर – वृंदावन का सबसे प्राचीन मंदिर।
- सीवा कुंज और इमली ताला – रासलीला और कृष्ण की लीलाओं के प्रतीक स्थल।
- गोविंद देव मंदिर – मुगलकालीन स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना।
- राधा दामोदर मंदिर – परिक्रमा करने वालों के लिए विशेष महत्व।
परिक्रमा का सबसे अच्छा समय सुबह 5–9 बजे या शाम 5 बजे के बाद है। गर्मी से बचने और शांत वातावरण के लिए यह समय आदर्श है।
प्रमुख आकर्षण: दिव्य मंदिर और रहस्यमयी स्थल
वृन्दावन में हर तरह के यात्री के लिए आध्यात्मिकता का खजाना है:
- बांके बिहारी मंदिर (Banke Bihari Temple): यह वृन्दावन का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र मंदिर है। यहाँ स्थापित भगवान कृष्ण की मूर्ति का दर्शन भक्तों को झाँकी के रूप में कराया जाता है, जिसमें बार-बार पर्दा हटाया और लगाया जाता है। यह अनूठी परंपरा इस मंदिर की विशेषता है।
- प्रेम मंदिर (Prem Mandir): आधुनिक वास्तुकला का यह शानदार मंदिर सफेद इतालवी संगमरमर से बना है। इसकी भव्यता और रात के समय की रोशनी इसे अद्भुत बनाती है। मंदिर के बाहर कृष्ण लीलाओं को दर्शाती सुंदर झाँकियाँ बनी हैं।

- इस्कॉन मंदिर (ISKCON Temple): यह मंदिर अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ का केंद्र है। यहाँ आप भक्तों को ‘हरे कृष्ण’ का जाप करते हुए और भक्ति में लीन होते हुए देखते हैं। यहाँ का शांत वातावरण ध्यान और शांति के लिए आदर्श है।
- सेवा कुंज और निधुवन (Seva Kunj and Nidhuban): ये वृन्दावन के दो सबसे रहस्यमय और पवित्र स्थान हैं। भक्तों का मानना है कि रात के समय कृष्ण और राधा आज भी यहाँ रास लीला करते हैं, इसलिए शाम के बाद यहाँ प्रवेश वर्जित होता है।
- राधा वल्लभ मंदिर और राधा रमन मंदिर: ये वृन्दावन के अन्य प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं जो अपनी अनूठी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाने जाते हैं।

कहां ठहरें
वृंदावन में हर बजट के लिए ठहरने के विकल्प उपलब्ध हैं।
- धार्मिक ठहराव: वृंदा कुंज आश्रम, इस्कॉन सेवा सदन।
- होटल: होटल कृष्णम (Hotel Krishnam), होटल बसेरा वृंदावन (Hotel Basera Vrindavan) आधुनिक सुविधाओं के साथ।
- अश्रम: सस्ते और साधारण भोजन के साथ शांत वातावरण।
त्योहारों के मौसम में पहले से बुकिंग जरूर करें।
क्या खाएं
यहां आपको शुद्ध शाकाहारी और सात्विक भोजन मिलेगा।
- नाश्ता: कचौरी-सब्जी, जलेबी।
- मिठाइयां: मथुरा के पेड़े, खुरचन, रबड़ी।
- पेय: ठंडाई, लस्सी।
वृन्दावन पहुँचने के तरीके
वृन्दावन तक पहुँचना बहुत सुविधाजनक है:
- सड़क मार्ग से: यह दिल्ली और आगरा से यमुना एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्ग-2 के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद से नियमित वॉल्वो बसें और टैक्सियां चलती हैं। अपनी कार से भी यात्रा कर सकते हैं।
- रेल मार्ग से: निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है, जो भारत के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। वृन्दावन का अपना एक छोटा रेलवे स्टेशन भी है।
- हवाई मार्ग से: निकटतम हवाई अड्डा आगरा (खेरिया हवाई अड्डा) या दिल्ली (इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा) है।
वृन्दावन घूमने का सबसे अच्छा समय
वृन्दावन घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है, जब मौसम ठंडा और सुखद रहता है। त्यौहार, जैसे जन्माष्टमी (अगस्त/सितंबर) और होली (मार्च), यहाँ आने का एक अनूठा और जीवंत अनुभव प्रदान करते हैं।
वृंदावन सिर्फ एक तीर्थ नहीं, बल्कि एक अनुभव है। सुबह मंदिरों की घंटियां, दिन में भजनों की गूंज, और शाम को यमुना के किनारे की आरती – यहां का हर पल आपके मन को शांति और आनंद से भर देता है।
यहां आप सिर्फ पर्यटक नहीं रहते, बल्कि एक साधक बन जाते हैं। चाहे आप श्रद्धा से आएं या सिर्फ शांति खोजने, वृंदावन आपको अपने प्रेम और भक्ति से अपनापन महसूस कराता है।
By: Anushka Singhal