रामेश्वरम: भारत के इस अंतिम छोर पर होती है मोक्ष की प्राप्ति!

दक्षिण भारत का पवित्र द्वीप रामेश्वरम सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है। तमिलनाडु के तट पर बसा यह शहर चारों ओर से नीले समंदर और सुनहरी रेत से घिरा है। यहाँ हर कदम पर रामायण की गूंज सुनाई देती है और हर हवा के झोंके में आध्यात्मिक शांति घुली है।
चाहे आप रामेश्वरम मंदिर की भव्यता देखने आए हों, धनुषकोडी की रहस्यमयी कहानियाँ सुनने या पम्बन ब्रिज के इंजीनियरिंग चमत्कार को निहारने — रामेश्वरम हर यात्री को एक अविस्मरणीय अनुभव देता है।

रामेश्वरम कैसे पहुँचें

रामेश्वरम भारत की मुख्य भूमि के किनारे स्थित है, और वहाँ तक की यात्रा खुद में एक रोमांच है।
सबसे नजदीकी हवाई अड्डा मदुरै अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (166 किमी दूर) है। मदुरै से टैक्सी, बस और निजी वाहन आसानी से उपलब्ध हैं।
रेलमार्ग से आने वालों के लिए यह अनुभव खास होता है — पाम्बन ब्रिज से गुजरती ट्रेन के नीचे फैला अथाह समुद्र एक यादगार नज़ारा पेश करता है।

अगर आप सड़क यात्रा पसंद करते हैं तो चेन्नई (560 किमी) या कोयंबटूर (360 किमी) से बस, टैक्सी या सेल्फ-ड्राइव का विकल्प चुन सकते हैं। तटीय मार्ग का अंतिम हिस्सा पाम्बन ब्रिज से गुजरते हुए रामेश्वरम की भव्यता का स्वागत करता है।

श्री रामनाथस्वामी मंदिर: द्रविड़ वास्तुकला का चमत्कार

रामेश्वरम का मुख्य आकर्षण श्री रामनाथस्वामी मंदिर है। यह विशाल मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना प्रस्तुत करता है।

श्री रामनाथस्वामी मंदिर

श्री रामनाथस्वामी मंदिर

विश्व का सबसे लंबा गलियारा

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसका तीसरा गलियारा (Corridor) है, जिसे विश्व का सबसे लंबा मंदिर गलियारा माना जाता है। यह गलियारा लगभग 1220 मीटर लंबा है और इसमें 4,000 से अधिक नक्काशीदार स्तंभ (Pillars) खड़े हैं। तीर्थयात्री जब इन स्तंभों के बीच से गुज़रते हैं, तो उन्हें प्राचीन कारीगरों की अद्भुत शिल्पकारी का अनुभव होता है।

22 पवित्र तीर्थम (कुंड)

मंदिर परिसर के भीतर 22 पवित्र जल कुंड (तीर्थम) स्थित हैं। हिंदू मान्यता है कि इन 22 कुंडों का जल अलग-अलग खनिजों और औषधीय गुणों से भरपूर है, और इनमें स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति रोगों से मुक्त होता है। श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश करने से पहले इन सभी कुंडों में क्रम से स्नान करते हैं। यह परंपरा रामेश्वरम की यात्रा का एक अनिवार्य हिस्सा है।

धनुषकोडी: राम सेतु का आरंभ बिंदु

रामेश्वरम द्वीप के दक्षिण-पूर्वी सिरे पर स्थित धनुषकोडी भारत की अंतिम भूमि है। इस स्थान का नाम “धनुष” और “कोडी” (सिरा) से बना है।

धनुषकोडी
  • राम सेतु का रहस्य: पौराणिक कथाएँ बताती हैं कि लंका पर चढ़ाई करने के लिए भगवान राम और उनकी वानर सेना ने यहीं से राम सेतु (एडम्स ब्रिज) का निर्माण शुरू किया था। लंका विजय के बाद, विभीषण के अनुरोध पर, भगवान राम ने अपने धनुष के सिरे से इस सेतु को तोड़ दिया था, जिसके कारण इसका नाम धनुषकोडी पड़ा।
  • समुद्रों का संगम: धनुषकोडी वह अद्भुत जगह है जहाँ बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) और हिंद महासागर (Indian Ocean) का जल आपस में मिलता है। यहाँ आप दोनों समुद्रों के अलग-अलग रंग और शांत-उग्र लहरों के संगम को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।

1964 के भीषण चक्रवात ने इस शहर को पूरी तरह उजाड़ दिया था, जिसके बाद इसे ‘भूतिया शहर’ (Ghost Town) भी कहा जाने लगा। आज, यहाँ उस त्रासदी के खंडहर, एक प्राचीन चर्च और मंदिर के अवशेष मौजूद हैं, जो इतिहास की कहानी बयां करते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल

  1. पंबन ब्रिज (Pamban Bridge): यह भारत का पहला समुद्री पुल है, जो रामेश्वरम द्वीप को भारतीय मुख्य भूमि से जोड़ता है। इस पुल के ऊपर से ट्रेन या कार में यात्रा करना अपने आप में एक अविस्मरणीय अनुभव है।
पंबन ब्रिज
  1. गांधमाधन पर्वतम: यह रामेश्वरम का सबसे ऊँचा स्थान है, जहाँ एक दो-मंजिला मंडप में भगवान राम के चरण-चिन्ह स्थापित हैं। यात्री यहाँ से पूरे द्वीप और समुद्र का मनोरम दृश्य देखते हैं।
  2. डॉ. .पी.जे. अब्दुल कलाम राष्ट्रीय स्मारक: पूर्व राष्ट्रपति और भारत के ‘मिसाइल मैन’ डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन और कार्यों को समर्पित यह स्मारक उन्हीं के जन्मस्थान पर बनाया गया है।

कहाँ ठहरें: रामेश्वरम के होटल और होमस्टे

होटल ब्रिंदावन रेजिडेंसी (Hotel Brindavan Residency), एमसीएम टावर्स (MCM Towers), होटल अशोका (Hotel Ashoka), और होटल रघवेन्द्र (Hotel Ragavendra) मंदिर के पास ही स्थित हैं — स्वच्छ कमरे, अच्छा भोजन और परिवारों के लिए सुविधाजनक वातावरण के साथ।
अगर आप स्थानीय अनुभव चाहते हैं तो अग्नि तीर्थ रोड और बस स्टैंड के पास होमस्टे या बजट गेस्टहाउस भी उपलब्ध हैं।
समुद्र किनारे बने कुछ रिसॉर्ट सूर्योदय का शानदार दृश्य प्रदान करते हैं।

क्या खाएं: रामेश्वरम का स्वाद

यहाँ का भोजन दक्षिण भारतीय स्वाद से भरपूर है।
स्थानीय होटलों जैसे काशी विश्वनाथ होटल, आर्या भवन और अहान रेस्टोरेंट में स्वादिष्ट इडली, डोसा, आप्पम और फिल्टर कॉफी का आनंद लें।
अगर आप सी-फूड पसंद करते हैं, तो समुद्र किनारे की ढाबों में ताज़ी मछली और मसालेदार झींगा करी चख सकते हैं (स्वच्छता का ध्यान रखें)।
धनुषकोडी जाते समय पानी और स्नैक्स साथ रखें, क्योंकि रास्ते में दुकानें सीमित हैं।

कब जाएं: रामेश्वरम घूमने का सही समय

अक्टूबर से फरवरी रामेश्वरम जाने का सबसे उपयुक्त समय है — मौसम सुहावना और यात्रा आरामदायक रहती है।
गर्मियों (अप्रैलजुलाई) में धूप तेज़ होती है, लेकिन कम भीड़ के कारण दर्शन आसान होता है।
श्रावण और शिवरात्रि जैसे पर्वों पर लाखों श्रद्धालु आते हैं, इसलिए पहले से बुकिंग करें।

यात्रियों के लिए सुझाव

  • मंदिर दर्शन के लिए एक रात पहले पहुँचें।
  • हल्के और जल्दी सूखने वाले कपड़े पहनें।
  • पानी, सनस्क्रीन, टोपी और स्कार्फ हमेशा साथ रखें।
  • धनुषकोडी शाम से पहले ही देखें, क्योंकि सूर्यास्त के बाद प्रवेश वर्जित है।
  • मूल्यवान वस्तुएँ होटल में ही छोड़ें।

रामेश्वरम सिर्फ एक स्थान नहीं, यह भक्ति, विरासत और प्रकृति का अद्भुत मेल है। यहाँ हर मंदिर की दीवारें रामायण की कथा कहती हैं और हर लहर आस्था की ध्वनि सुनाती है।
एक बार यहाँ आने के बाद, यात्री केवल दर्शन नहीं बल्कि आत्मिक शांति और जीवन का नया अर्थ लेकर लौटता है।

By: Anushka Singhal

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