हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित, डलहौज़ी अपनी शांत सुंदरता, ब्रिटिश-युग के आकर्षण और हिमालय के शानदार दृश्यों के लिए जाना जाता है। धौलाधार पर्वतमाला की हरी-भरी ढलानों पर बसा यह खूबसूरत हिल स्टेशन उन यात्रियों के लिए एक आदर्श स्थान है जो भीड़भाड़ से दूर, प्रकृति की गोद में शांति और ताजगी चाहते हैं। देवदार और ओक के घने जंगलों, बर्फ से ढकी चोटियों और औपनिवेशिक वास्तुकला के साथ, डलहौज़ी आपको एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है।
यदि आप ट्रैकिंग, हाइकिंग, पैराग्लाइडिंग, ज़ॉर्बिंग, बोटिंग, रिवर राफ्टिंग, फोटोग्राफी या परिवार संग पिकनिक पसंद करते हैं, तो डलहौज़ी आपकी परफेक्ट ट्रैवल डेस्टिनेशन बन सकती है।
डलहौज़ी का नाम 19वीं सदी के ब्रिटिश गवर्नर-जनरल लॉर्ड डलहौज़ी के नाम पर पड़ा है। उन्होंने 1854 में इस जगह को एक पहाड़ी विश्राम स्थल के रूप में स्थापित किया था। आप यहाँ की वास्तुकला में ब्रिटिश प्रभाव स्पष्ट रूप से देखते हैं, जो पुरानी दुनिया के आकर्षण को जोड़ता है। डलहौज़ी की विशेषता इसकी शांत सड़कें, साफ हवा और दूर-दूर तक फैले हरे-भरे परिदृश्य हैं। यह शहर समुद्र तल से लगभग 1,970 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो इसे पूरे साल सुखद मौसम का आनंद देता है।
कब और क्यों जाएं डलहौज़ी?
डलहौज़ी का मौसम सालभर खुशनुमा और सैर-सपाटे के लिए आदर्श रहता है:
- गर्मी (मार्च से मई): 15°C से 25°C के बीच तापमान, सैर-सपाटे के लिए उत्तम।
- मानसून (जुलाई से सितंबर): 20°C से 30°C, हल्की बारिश के साथ हरा-भरा और ताज़गी से भरपूर।
- सर्दी (दिसंबर से फरवरी): 0°C से 4°C, बर्फबारी के शौकीनों के लिए स्वर्ग।

डलहौज़ी और उसके आसपास के प्रमुख दर्शनीय स्थल
खज्जियार – भारत का मिनी स्विट्ज़रलैंड
हरियाली से भरा मैदान, बीच में छोटी झील और चारों ओर देवदार के पेड़। पैराग्लाइडिंग और ज़ॉर्बिंग जैसे रोमांचक खेल यहां आपको मिलेंगे।

डैनकुंड पीक – ‘सिंगिंग हिल’
डलहौज़ी की सबसे ऊँची चोटी, जहाँ हवा की सिसकारी पेड़ों से टकरा कर मधुर संगीत बन जाती है। यहां से रावी, ब्यास और चिनाब नदियों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
कालाटॉप वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी
ओक, पाइन और देवदार के पेड़ों से भरा जंगल, जहां हिमालयी काले भालू, हिरण और कई पक्षी मिलते हैं। वॉकिंग, हाइकिंग या साइक्लिंग के लिए एकदम सही।
पंचपुला
छोटे झरनों, लकड़ी के पुलों और शीतल बहती धाराओं से भरपूर यह जगह पिकनिक के लिए आदर्श है। स्वतंत्रता सेनानी अजीत सिंह की याद में बना स्मारक भी यहीं स्थित है।
सतधारा जलप्रपात
सात स्रोतों से बहता क्रिस्टल क्लियर जल, जो इस जगह को रोमांटिक और शांतिपूर्ण बनाता है। यहां ध्यान और फोटोग्राफी के लिए बेहतरीन माहौल है।
सेंट फ्रांसिस और सेंट जॉन चर्च
ब्रिटिश कालीन वास्तुकला और रंगीन कांच की खिड़कियों वाले ये चर्च शांति और इतिहास दोनों के प्रतीक हैं।
चमेरा झील
डलहौज़ी से 25 किमी दूर, जहां आप बोटिंग, फिशिंग और कैंपिंग का मजा ले सकते हैं। पानी के रोमांच प्रेमियों के लिए परफेक्ट स्थान।

कैसे पहुंचे?
- हवाई मार्ग: पठानकोट (86 किमी), जम्मू व कांगड़ा (107–108 किमी), अमृतसर (208 किमी) – टैक्सी से आगे का सफर करें।
- रेल मार्ग: पठानकोट जंक्शन (82 किमी) सबसे नजदीकी स्टेशन – टैक्सी या बस उपलब्ध।
- सड़क मार्ग: दिल्ली और उत्तर भारत के कई शहरों से रातभर की बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।
डलहौज़ी में कहां ठहरें?
लग्ज़री और फैमिली होटल्स:
- एल्गिन हॉल, एल्प्स होटल: उपनिवेशकालीन सौंदर्य के साथ सभी आधुनिक सुविधाएं।
- डलहौज़ी हाइट्स, ग्रैंड व्यू होटल: फैमिलीज़ और ग्रुप्स के लिए उपयुक्त।
बजट ट्रैवलर्स के लिए:
- होमस्टे और गेस्टहाउस: स्थानीय संस्कृति का अनुभव और पॉकेट-फ्रेंडली।
- फॉरेस्ट रेस्ट हाउस: प्रकृति के पास, कम भीड़भाड़ में शांति का अनुभव।
क्या खरीदें और कहां से?
डलहौज़ी की ट्रिप के अंत में यहां से वूलन कपड़े, तिब्बती हस्तशिल्प और भुट्टिको के हैंडलूम उत्पाद लेना न भूलें। ये चीज़ें आपको तिब्बती हैंडीक्राफ्ट मार्केट और लोकल दुकानों में आसानी से मिल जाएंगी।
डलहौज़ी वह जगह है जहां प्रकृति की फुसफुसाहट और इतिहास की छाया साथ चलती है। यह एक ऐसा हिल स्टेशन है जो आपको भीड़-भाड़ से दूर सुकून, रोमांच और खूबसूरत नज़ारों का अनुभव देता है। अगली बार जब पहाड़ बुलाएं, तो डलहौज़ी को अपनी ट्रैवल लिस्ट में जरूर शामिल करें।
By: Anushka Singhal