भारत की सात सबसे प्राचीन और पवित्र नगरियों में से एक, उज्जैन मध्य प्रदेश में क्षिप्रा नदी के तट पर बसी एक ऐसी नगरी है, जहाँ हर कोने में आस्था और इतिहास की सुगंध आती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह वह स्थान है जहाँ भगवान शिव ने स्वयं ‘महाकाल’ के रूप में निवास किया। उज्जैन न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि यह राजा विक्रमादित्य की राजधानी और महान कवि कालिदास की कर्मभूमि भी रही है। हाल ही में, भव्य महाकाल लोक के निर्माण के बाद, उज्जैन ने दुनिया भर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों को एक नए सिरे से आकर्षित करना शुरू किया है।
उज्जैन को ‘काल की नगरी’ कहते हैं, क्योंकि यहाँ महाकालेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग को ब्रह्मांड के समय का नियंत्रक माना जाता है। हिंदू ज्योतिष और खगोल विज्ञान में, यह शहर पृथ्वी के प्राइम मेरिडियन (शून्य देशांतर) के रूप में कार्य करता था। हर 12 साल में यहाँ आयोजित होने वाला सिंहस्थ कुंभ मेला लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, जो क्षिप्रा नदी में पवित्र डुबकी लगाने आते हैं।
मध्यप्रदेश का उज्जैन सिर्फ़ एक शहर नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक है। यहाँ हर गली, हर घाट और हर मंदिर अपनी कहानी कहता है। अगर आप इतिहास के चाहने वाले हैं, मंदिरों की घंटियों की गूंज पसंद करते हैं, प्रसाद का स्वाद लेना चाहते हैं या फिर बस किसी नदी किनारे बैठकर शांति महसूस करना चाहते हैं – तो उज्जैन आपके लिए एक परफ़ेक्ट जगह है।
प्रमुख आकर्षण
उज्जैन में आपको कई ऐसे स्थल मिलेंगे जो इसकी समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं:
- श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: यह उज्जैन का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र स्थल है, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहाँ का शिवलिंग स्वयंभू (स्वयं प्रकट) माना जाता है। यहाँ की सबसे खास पूजा भस्म आरती है, जो सुबह 4 बजे होती है। इस आरती में भाग लेने के लिए पहले से बुकिंग करना अनिवार्य है।

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, उज्जैन, Image Source @ Ashverse
- श्री महाकाल लोक: महाकाल मंदिर परिसर के आसपास हाल ही में विकसित यह भव्य कॉरिडोर एक प्रमुख आकर्षण बन गया है। यहाँ आप 108 स्तंभों और दीवारों पर शिव पुराण की कहानियों को दर्शाती सुंदर मूर्तियाँ और भित्तिचित्र देखते हैं। यह एक आधुनिक और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
- काल भैरव मंदिर: यह उज्जैन का एक अनोखा और प्रसिद्ध मंदिर है। यहाँ भगवान काल भैरव को प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाई जाती है, और मान्यता है कि वे उसे ग्रहण करते हैं। यह मंदिर महाकाल के कोतवाल (शहर के संरक्षक) को समर्पित है।

काल भैरव मंदिर
- हरसिद्धि माता मंदिर: यह 51 शक्ति पीठों में से एक है, जहाँ देवी सती की कोहनी गिरी थी। यहाँ की शाम की आरती बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें एक विशाल दीपक की लौ से आरती की जाती है।

हरसिद्धि माता मंदिर
- मंगलनाथ मंदिर: ज्योतिष के अनुसार, उज्जैन को मंगल ग्रह का जन्मस्थान माना जाता है, इसीलिए यह मंदिर उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है जिनकी कुंडली में मंगल दोष होता है।
- राम घाट: क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित यह उज्जैन का सबसे पवित्र घाट है। यहाँ श्रद्धालु कुंभ मेले के दौरान और सामान्य दिनों में भी पवित्र डुबकी लगाते हैं। शाम को यहाँ होने वाली गंगा आरती में हजारों भक्त शामिल होते हैं।
- वेधशाला (जंतर मंतर): इसका निर्माण 1733 में राजा जय सिंह द्वितीय ने खगोलीय गणनाओं के लिए किया था। यह भारत की सबसे पुरानी खगोलीय वेधशालाओं में से एक है।
उज्जैन में क्या करें: आस्था और आध्यात्मिकता का अनुभव
उज्जैन की यात्रा सिर्फ मंदिरों तक सीमित नहीं है। यहाँ आप कई तरह के अनुभव प्राप्त करते हैं:
- भस्म आरती में शामिल हों: महाकालेश्वर मंदिर की सुबह की भस्म आरती में भाग लेना एक आध्यात्मिक और अविस्मरणीय अनुभव होता है।
- क्षिप्रा में स्नान: राम घाट पर क्षिप्रा नदी में एक पवित्र डुबकी लगाकर आप अपनी यात्रा की शुरुआत या अंत करते हैं।
- घाटों पर टहलें: शाम को क्षिप्रा नदी के घाटों पर जाकर आप शांति का अनुभव करते हैं और आरती का हिस्सा बनते हैं।
- स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लें: उज्जैन अपने स्वादिष्ट व्यंजनों, जैसे कि कचौरी, समोसे, और पोहा के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ का भोजन मुख्य रूप से शाकाहारी होता है।
उज्जैन पहुँचने के तरीके
उज्जैन तक पहुँचना बहुत सुविधाजनक है:
- हवाई मार्ग से: उज्जैन का निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा, इंदौर (लगभग 55 किमी) है, जो भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
- रेल मार्ग से: उज्जैन जंक्शन (UJN) भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग से: इंदौर, भोपाल और अहमदाबाद जैसे शहरों से बस और टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं।
उज्जैन में ठहरने की व्यवस्था
उज्जैन में धर्मशालाओं से लेकर लग्जरी होटलों तक हर बजट के लिए विकल्प मौजूद हैं। लोकप्रिय होटलों में होटल इम्पीरियल ग्रैंड (Hotel Imperial Grand), होटल अंजुश्री (Anjushree), होटल अथर्वा, मेघदूत रिज़ॉर्ट शामिल हैं। ज्यादातर होटल मंदिर के पास स्थित हैं और तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाजनक हैं।
घूमने का सबसे अच्छा समय
उज्जैन घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है, जब मौसम ठंडा और सुखद रहता है। गर्मी के मौसम में (अप्रैल से जून) तापमान काफी बढ़ सकता है, जबकि मानसून (जुलाई से सितंबर) में बारिश के कारण यात्रा प्रभावित हो सकती है।
उज्जैन से ओंकारेश्वर की यात्रा
उज्जैन से लगभग 140 किमी दूर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा का अगला पड़ाव है। नर्मदा नदी के बीच मंड्हाता द्वीप पर स्थित यह मंदिर ओंकार (ॐ) के आकार जैसा दिखाई देता है। यहाँ की परिक्रमा और दर्शन आत्मा को अद्भुत शांति देते हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओंकारेश्वर में रहने के लिए धर्मशालाएँ और छोटे होटल उपलब्ध हैं। चाहें तो आप इंदौर में भी ठहरकर यहाँ का भ्रमण कर सकते हैं।
उज्जैन एक ऐसा शहर है जहाँ इतिहास, आस्था और आध्यात्मिकता एक साथ मिलते हैं। यह हर यात्री को शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
उज्जैन और ओंकारेश्वर की यह यात्रा सिर्फ़ एक धार्मिक अनुभव नहीं, बल्कि भारत की जड़ों से जुड़ने का अवसर है। यहाँ की गलियाँ, मंदिरों की घंटियाँ, नर्मदा की लहरें और प्रसाद का स्वाद मिलकर एक ऐसा अनुभव देते हैं जो जीवनभर याद रहता है।
By: Anushka Singhal