पंजाब के गौरवशाली शहर अमृतसर में आपका स्वागत है—एक ऐसी जगह जो सिर्फ़ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि सिख धर्म की आत्मा और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अमिट निशानी है। यह शहर अपने आप में इतिहास, भक्ति, और देशभक्ति की एक पूरी गाथा समेटे हुए है। आइए, जानते हैं इस पवित्र और जीवंत शहर के सबसे महत्वपूर्ण आकर्षणों और अनुभवों के बारे में।
पंजाब की इस पवित्र धरती पर कदम रखते ही एक अलग अपनापन और गर्मजोशी महसूस होती है। यह शहर सिर्फ एक गंतव्य नहीं, बल्कि एक अनुभव है। संकरी गलियों में गूंजती पंजाबी बोलियां, हलचल भरे बाजार, गुरुद्वारों की शांति और लाजवाब भोजन – अमृतसर हर यात्री को अपने रंग में रंग देता है।
गोल्डन टेंपल (स्वर्ण मंदिर) यहां का केंद्र है, लेकिन अमृतसर का जादू सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं। यहां हर मोड़ पर आपको भक्ति, बलिदान और पंजाबी मेहमाननवाज़ी की झलक मिलती है।
श्री हरमंदिर साहिब: ‘स्वर्ण मंदिर’ (Golden Temple) की दिव्य छटा
श्री हरमंदिर साहिब, जिसे दुनिया भर में स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है, अमृतसर का सबसे बड़ा आकर्षण और सिख आस्था का सबसे पवित्र गुरुद्वारा है।

इतिहास और महत्व
- स्थापना: इस पवित्र स्थल की नींव सिखों के चौथे गुरु, गुरु रामदास जी ने 15वीं शताब्दी में रखी थी। उन्होंने ही यहाँ एक पवित्र सरोवर का निर्माण करवाया था, जिसके नाम पर ही इस शहर को पहले ‘अंबसर’ और बाद में अमृतसर कहा जाने लगा।
- सोने की कारीगरी: गुरुद्वारे के ऊपरी हिस्से को महाराजा रणजीत सिंह ने 19वीं शताब्दी में लगभग 750 किलो शुद्ध सोने की परत से मढ़वाया था, जिसके कारण यह स्वर्ण मंदिर के रूप में विश्व-प्रसिद्ध हो गया।
- समरसता का प्रतीक: गुरुद्वारे में चारों दिशाओं में चार प्रवेश द्वार हैं, जो हर धर्म, जाति और वर्ग के लोगों के लिए खुले रहने का संदेश देते हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी रसोई (लंगर)
स्वर्ण मंदिर में चलने वाला लंगर इसकी एक और अद्भुत पहचान है। यह दुनिया की सबसे बड़ी सामुदायिक रसोई है, जहाँ रोज़ाना एक लाख से अधिक लोगों को बिना किसी भेदभाव के स्वादिष्ट और पौष्टिक शाकाहारी भोजन परोसा जाता है। यहाँ सेवादार (स्वयंसेवक) चौबीसों घंटे सेवा करते हैं।
जलियांवाला बाग: बलिदान की अमर गाथा
स्वर्ण मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित जलियांवाला बाग 13 अप्रैल 1919 के दर्दनाक जलियांवाला बाग हत्याकांड का गवाह है। यह स्थल ब्रिटिश क्रूरता और भारतीयों के बलिदान की याद दिलाता है।
क्रूरता का काला अध्याय
- घटना: बैसाखी के दिन, यहाँ रौलेट एक्ट और स्थानीय नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में एक शांतिपूर्ण सभा चल रही थी।
- नरसंहार: बिना किसी चेतावनी के, ब्रिटिश सैन्य अधिकारी जनरल डायर ने बाग के एकमात्र संकरे प्रवेश द्वार को बंद करवा दिया और निहत्थे भीड़ पर गोलीबारी का आदेश दे दिया। सैनिकों ने लगभग 10 मिनट में 1650 राउंड से अधिक गोलियां चलाईं।
- शहीदी कुआं: जान बचाने के लिए सैकड़ों लोग बाग में बने कुएं में कूद गए, जिसे आज ‘शहीदी कुआं’ कहा जाता है। बाग की दीवारों पर आज भी गोलियों के निशान शौर्य की कहानी सुनाते हैं।
अटारी-वाघा बॉर्डर: देशभक्ति का जोश भरा प्रदर्शन
अमृतसर से लगभग 30 किलोमीटर दूर भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर हर शाम एक जोश भरा दृश्य पेश करता है।

बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी
- शाम का समारोह: सूर्यास्त से ठीक पहले, बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी आयोजित होती है। इसमें सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान और पाकिस्तानी रेंजर्स एक भव्य और ऊर्जा से भरपूर परेड करते हैं।
- गर्व और सम्मान: सैनिकों के ऊँचे कदमों, तीखे अंदाज़ और राष्ट्र ध्वज को उतारने की यह पारंपरिक रस्म देशभक्ति के जुनून से भरी होती है। हज़ारों दर्शक भारत माता की जय के नारे लगाते हुए इस अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन देखते हैं।
अमृतसर के अन्य प्रमुख आकर्षण
- पार्टिशन म्यूज़ियम: भारत विभाजन की कहानियां, कला और वस्तुएं।

- दुर्गियाना मंदिर: चांदी की छत वाला यह मंदिर “सिल्वर टेम्पल” के नाम से प्रसिद्ध है।
- गोविंदगढ़ किला: सांस्कृतिक गतिविधियों, 7D शो और लाइट एंड साउंड शो के लिए मशहूर।
- महाराजा रणजीत सिंह म्यूज़ियम: पंजाब के शेर महाराजा की शौर्यगाथा।
- बाबा अटल टॉवर: नौ मंज़िला गुरुद्वारा जहां से शहर का पैनोरमिक दृश्य दिखता है।
- हॉल बाजार और गुरु बाजार: फुलकारी कढ़ाई, पंजाबी जुत्ती और अमृतसरी पापड़ के लिए प्रसिद्ध।
स्वाद अमृतसर का: जो ज़ुबान पर हमेशा रहता है
अमृतसर सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि खाने के शौकीनों के लिए भी जन्नत है। यहाँ के व्यंजन पंजाब की समृद्ध संस्कृति और शुद्ध देसी घी के स्वाद को दर्शाते हैं।
ज़रूर चखें
- अमृतसरी कुलचा: तंदूर में पका, आलू, पनीर या मसालों से भरा, मक्खन में डूबा हुआ चूर-चूर नान या अमृतसरी कुलचा यहाँ का सबसे लोकप्रिय नाश्ता है, जिसे तीखे छोले के साथ परोसा जाता है।
- लस्सी: मलाईदार और गाढ़ी अमृतसरी लस्सी एक ऐसा पेय है जो आपको एक बार में ही तृप्त कर देगा।
- अमृतसरी फिश टिक्का: समुद्री भोजन पसंद करने वालों के लिए बेसन और मसालों में मैरीनेट की गई अमृतसरी फिश टिक्का एक ज़रूरी व्यंजन है।
- अन्य व्यंजन: पिंडी छोले, दाल मखनी, और मुर्ग मखनी (बटर चिकन) भी यहाँ के ढाबों और रेस्टोरेंट में बहुत मशहूर हैं।
अमृतसर का असली जादू इसकी थालियों और गलियों में छिपा है।
- केसर दा ढाबा: दाल मखनी और लस्सी।
- भरावन दा ढाबा: असली अमृतसरी कुलचे और छोले।
- मखन फिश: अमृतसरी फ्राइड फिश।
- बीर चिकन हाउस: तंदूरी चिकन और मसालेदार करी।
- कन्हा स्वीट्स: आलू पूरी और जलेबी।
- गुरु का लंगर: सबसे बड़ा सामूहिक भोजन, जो आत्मा को तृप्त कर देता है।
अमृतसर कैसे पहुंचें
अमृतसर पहुंचना बेहद आसान है।
- हवाई मार्ग: श्री गुरु राम दास जी इंटरनेशनल एयरपोर्ट दिल्ली, मुंबई और विदेशों से जुड़ा हुआ है।
- रेल मार्ग: अमृतसर जंक्शन पूरे भारत से कनेक्टेड है।
- सड़क मार्ग: दिल्ली और चंडीगढ़ से बस, टैक्सी और सेल्फ-ड्राइव सबसे लोकप्रिय विकल्प हैं।
शहर में आने के बाद ऑटो, रिक्शा और कैब आसानी से उपलब्ध हैं। गोल्डन टेंपल के पास स्थित आकर्षण पैदल घूमे जा सकते हैं।
ठहरने के लिए बेहतरीन जगहें
- गोल्डन टेंपल के पास: होटल सफायर, सरोवर रीजेंसी (Sarovar Regency), होटल अर्बन गैलेक्सी।
- लक्जरी: हयात रीजेंसी (Hyatt Regency), कोर्टयार्ड बाय मैरियट (Courtyard by Marriott), रामाडा (Ramada)।
- सरागढ़ी सराय: गोल्डन टेंपल मैनेजमेंट द्वारा संचालित शांतिपूर्ण सराय।
- होमस्टे: स्थानीय परिवारों के साथ रहकर पंजाबी मेहमाननवाज़ी का अनुभव।
अमृतसर: एक अनुभव, एक एहसास
अमृतसर सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि आत्मा को छू लेने वाला सफर है। यहां गोल्डन टेंपल की शांति है, जलियांवाला बाग का इतिहास है, वाघा बॉर्डर का जोश है और गलियों का लाजवाब स्वाद है। जो भी यहां आता है, वह सिर्फ यादें ही नहीं, बल्कि जीवनभर का अनुभव लेकर लौटता है।
By: Anushka Singhal